जनम जनम के दुख बिसरावै ॥३३॥ अन्त काल रघुबर पुर जाई । नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा॥ राम मिलाय राज पद दीह्ना ॥१६॥ तुह्मरो मन्त्र बिभीषन माना । यत्पूजितं मया देव! परिपूर्ण तदस्तु मे O the Son of Wind, You are classified as the destroyer of https://seozdirectory.com/listings13215064/not-known-details-about-hanuman-mantra